हरियाणा को जीरो ड्रॉप-आउट राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उठाया बीड़ा
चंडीगढ़, (KK) – हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने एवं गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही अब सरकार ने हरियाणा को जीरो ड्रॉप-आउट राज्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पीपीपी डाटा में दर्ज 6 से 18 वर्ष आयु के बच्चों को ट्रैक करने के निर्देश दिए हैं, ताकि यदि कोई बच्चा किसी सरकारी या निजी स्कूल, गुरुकुल, मदरसे या कदम स्कूल (स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर) इत्यादि में नामांकित नहीं है, तो उसे शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रयास किए जा सकें।
मुख्यमंत्री आज यहां जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों (डीईईओ) के साथ बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि हर बच्चा स्कूली शिक्षा ग्रहण करे, यही सरकार का प्राथमिक उद्देश्य है। बच्चे अच्छे नागरिक बनें और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें। इसके लिए बच्चों और शिक्षक का अनुपात सही होना चाहिए।
एक किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित स्कूलों के लिए बच्चों को प्रदान की जाएगी परिवहन सुविधा
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ हर प्रकार से उनकी चिंता कर रही है, ताकि उनकी नींव मजबूत बन सके। इसलिए बच्चों को स्कूल तक आने-जाने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होनी चाहिए, इसके लिए सरकार ने योजना बनाई है। गांव से 1 किलोमीटर की दूरी से अधिक पर स्थित स्कूलों में आने-जाने के लिए सरकार की ओर से बच्चों को परिवहन की सुविधा प्रदान की जाएगी। इसके लिए प्रत्येक स्कूल में एक शिक्षक को स्कूल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर के रूप में नामित किया जाए, जिसका कार्य ऐसे बच्चों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा, जिन्हें परिवहन सुविधा की आवश्यकता है। इसी प्रकार, ब्लॉक स्तर पर भी एक स्कूल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर (एसटीओ) नामित किया जाए, जो ब्लॉक में स्थित स्कूलों के एसटीओ के साथ समन्वय स्थापित कर परिवहन की सुविधा सुनिश्चित करने का कार्य करेगा।
राज्य के स्कूलों में दाखिला ले चुके अप्रवासी परिवारों के बच्चों का भी बनेगा आधार कार्ड
श्री मनोहर लाल ने डीईईओ को निर्देश देते हुए कहा कि एमआईएस पोर्टल पर सभी विद्यार्थियों का डाटा निरंतर अपडेट करें। डीईईओ ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि दूसरे राज्यों से काम की तलाश में यहां आए या ईंट भट्टों इत्यादि व्यवसायों में काम करने वाले परिवारों के लगभग 3 हजार बच्चे ऐसे हैं, जिनका आधार कार्ड नहीं बना हुआ है, इस कारण उनका डाटा एमआईएस पर अपडेट नहीं किया जा सकता। उनके जन्म तिथि का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, न ही उनके अभिभावकों के पास दस्तावेज उपलब्ध हैं, जिससे आधार कार्ड बनाया जा सके।
इस पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों को बड़ी राहत देते हुए कहा कि राज्य के स्कूलों में दाखिला ले चुके ऐसे अप्रवासी परिवारों के बच्चों का आधार कार्ड बनाया जाएगा। इसके लिए माता-पिता को केवल बच्चे की जन्म तिथि के लिए नोटरी से सत्यापित एफिडेविट डीईईओ को प्रदान करना होगा, जिस पर हेड टीचर काउंटर हस्ताक्षर करेगा। यह दस्तावेज अतिरिक्त जिला उपायुक्त के पास प्रस्तुत किया जाएगा और आधार कार्ड बनाया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के अनुरूप बचपन से ही बच्चों की बुनियाद सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने 4 हजार आंगनवाड़ियों को बाल वाटिका में परिवर्तित किया है, जहां बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा प्रदान की जा रही है। अब राज्य सरकार की यह योजना है कि जो बाल वाटिकाएं स्कूल परिसर में स्थित हैं, उनकी जिम्मेवारी स्कूल की होगी, ताकि बच्चों को और बेहतर शिक्षा मिल सके।
बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री सुधीर राजपाल, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ अमित अग्रवाल, महानिदेशक, माध्यमिक शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग की सचिव श्रीमती आशिमा बराड़, महानिदेश, मौलिक शिक्षा श्री रिप्पूदमन सिंह ढिल्लों सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।