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स्वच्छता, मशीनीकृत सफाई और प्रयुक्त जल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करेंगे शहर

आरएस अनेजा, नई दिल्ली

विश्व शौचालय दिवस 2023 के उपलक्ष्य में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ने ‘क्लीन टॉयलेट कैंपेन’ शुरू किया, जो 19 नवंबर से 25 दिसंबर 2023 तक चलेगा। सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों के प्रभावी संचालन और स्थायी भविष्य के लिए यह अभियान शुरू किया गया, जिसके अंतर्गत शौचालयों की सफाई और रखरखाव के विशेष प्रयास 5 सप्ताह तक चलेंगे। इसके तहत मॉडल सार्वजनिक शौचालयों की पहचान करने के लिए चुनौती शुरू की गई है, जिसमें स्वच्छता, लोगों तक पहुंच, डिजाइन में नएपन के साथ-साथ कार्यक्षमता का उदाहरण पेश किया जा रहा है। इसी कड़ी में स्वच्छता के साथ मशीनीकृत सफाई और प्रयुक्त जल प्रबंधन पर शहरों का ध्यान केंद्रित करते हुए योजना और कार्यान्वयन रणनीति पर चर्चा के लिए 23 और 24 नवंबर 2023 को चेन्नई, तमिलनाडु में एसबीएम-यू 2.0 के तहत दो दिवसीय राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।

2014 में शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन ने वैश्विक स्तर पर स्वच्छता संबंधी प्रयासों से क्रांति ला दी है। टियर 2 और टियर 3 शहरों में स्वच्छता, कीचड़ की मशीनीकृत सफाई और प्रयुक्त जल प्रबंधन की दिशा में तेजी लाई गई है। साथ ही एसबीएम-यू 2.0 ने प्रभावी प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन और कार्यान्वयन में छोटे शहरों द्वारा इनोवेशन, गवर्नेंस, एक सर्कुलर इकॉनमी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों में, पंचगनी, पाटन, करहाड और कुछ अन्य ने स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के मामले में दूसरों के सामने उदाहरण पेश किए हैं। कचरा अलग करने के मामले में बेहतर काम करने वाले पंचगनी के स्वच्छाग्रहियों से लेकर एक कचरा पॉइंट को खूबसूरत हिल स्टेशन में बदलने तक, पंचगनी जैसे छोटे शहरों ने समग्र स्तरीय स्वच्छता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। 

1 लाख से कम आबादी वाले शहरों में पूरी तरह लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट - एसबीएम-शहरी 2.0 द्वारा लाया गया नया घटक है, जो सुनिश्चित करेगा कि अपशिष्ट के रूप में निकलने वाला सारा पानी सुरक्षित रूप से इकट्ठा कर ट्रांसपोर्ट और ट्रीट किया जाए, ताकि कोई भी इस्तेमाल हो चुका खराब पानी हमारे जल निकायों को प्रदूषित न करे। सूरत जैसे शहरों ने तीन स्तर पर ट्रीटमेंट करने वाले प्लांटों की स्थापना करके शहर से निकलने वाले दूषित जल को ट्रीट कर संसाधन के रूप में परिवर्तित कर दिया है, जिससे ताजा पानी उपलब्ध कराने वाले संसाधनों पर निर्भरता कम हो गई है और ट्रीट किए गए इस्तेमाल हो चुके पानी को एक आर्थिक संसाधन के रूप में तैयार किया गया है। तिरुचिरापल्ली में कीचड़ हटाने वाले निजी ऑपरेटरों के साथ काम हो रहा है, जो हर समय सक्रिय रहते हैं। ऑपरेटरों द्वारा एकत्र किए गए मल संबंधी कीचड़ और सेप्टेज के निपटारे के लिए, शहर भर में सीवेज पंपिंग स्टेशनों में डिकैंटिंग व्यवस्था स्थापित करके को-ट्रीटमेंट के प्रावधान किए गए हैं।


इसे आगे बढ़ाने के लिए, MoHUA की 2 दिवसीय राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यशाला में योजना और कार्यान्वयन रणनीति पर चर्चा की गई। यह कार्यशाला, स्वच्छता क्षेत्र को मजबूत करने पर केंद्रित थी और इसका लक्ष्य राज्य सरकारों के वरिष्ठ नेतृत्व जैसे राज्य मिशन निदेशक, राज्य मिशन में यूडब्ल्यूएम के नोडल अधिकारी, शहरी विकास विभाग के मुख्य अभियंता और वरिष्ठ अभियंता समेत इन शहरों में स्वच्छता, मशीनीकृत कीचड़ हटाने और प्रयुक्त जल प्रबंधन के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार पैरास्टेटल एजेंसियां थीं।

कार्यशाला के पहले दिन ग्रेटर चेन्नई सिटी कॉरपोरेशन द्वारा सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों (सीटी/पीटी) के संचालन और रखरखाव पर अनुभव साझा किए गए, इसके बाद स्वच्छता क्षेत्र में वित्तपोषण, स्वच्छता क्षेत्र में आजीविका के अवसर- ASCI और NITI द्वारा एक परिप्रेक्ष्य पर विचार-विमर्श किया गया। बीएमसी, उड़ीसा, नोएडा, मैसूर, तेलंगाना, HUL, IIHS, वॉश-I, DUSIB ने सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों की लोगों तक पहुंच और संचालन और रखरखाव पर प्रकाश डाला। दूसरे सत्र में मशीनीकृत कीचड़ की सफाई पर प्रकाश डाला गया और सफ़ाईमित्र सुरक्षित शहर - सीवरों और सेप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई को मजबूत करने, SRA और ERSU को संचालित करने, स्वच्छता कर्मचारियों की सुरक्षा को बढ़ावा देने के साथ निजी क्षेत्रों ने अपनी अपेक्षाओं और व्यवसाय मॉडल को साझा करने पर चर्चा की।

MoHUA की संयुक्त सचिव श्रीमती रूपा मिश्रा और GoTN के प्रमुख सचिव द्वारा दिशानिर्देश और सलाह संबंधी एक कंपेंडियम जारी किया गया। इस अवसर पर संयुक्त सचिव, MoHUA ने कहा, “राष्ट्रीय दृष्टिकोण का पहला सिद्धांत उन रूपरेखाओं से आगे बढ़ना है जो एक विशेष कार्यक्रम द्वारा निर्धारित की गई हैं। हमारी जरूरत स्वच्छ भूमि, स्वच्छ पानी और स्वच्छ हवा के माध्यम से सुनिश्चित की जाने वाली सुरक्षित स्वच्छता प्राप्त करना है।”

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