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 डीपीआईआईटी ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और संबंधित मंत्रालयों/विभागों के साथ प्रधानमंत्री गतिशक्ति वेबिनार आयोजित किया

आरएस अनेजा, नई दिल्ली

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन व आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने प्रधानमंत्री गतिशक्ति को अपनाने की स्थिति की समीक्षा करने व अवसंरचना नियोजन के संबंध में प्रधानमंत्री गतिशक्ति सिद्धांतों को जिला/स्थानीय स्तर पर अपनाने को लेकर आगे के रास्ते पर चर्चा करने के लिए आज राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक वेबिनार का आयोजन किया।

इस वेबिनार डीपीआईआईटी व बिसाग-एन (भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान) की ओर से प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी) का प्रदर्शन, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जिला/स्थानीय स्तर पर प्रधानमंत्री गतिशक्ति एनएमपी को अपनाने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ बातचीत, क्रॉस-लर्निंग (एक-दूसरे से सीखना) को बढ़ावा देने व राज्य स्तरीय बुनियादी ढांचे नेटवर्क के साथ समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचे से संबंधित मंत्रालयों द्वारा अपने अनुभवों को साझा करना एजेंडे में शामिल था।

डीपीआईआईटी के सचिव राजेश कुमार सिंह ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एक सार्वभौमिक नियोजन उपकरण के रूप में अद्वितीय जीआईएस-आधारित मंच व प्रधानमंत्री गतिशक्ति की क्षमता का उल्लेख किया। उन्होंने आगे क्षेत्र विकास सिद्धांतों पर ध्यान देने के साथ दूरदर्शी प्रधानमंत्री गतिशक्ति कार्यक्रम को अगले चरण के तहत जिला/शहरी स्थानीय निकायों/प्रखण्ड स्तर पर प्रसारित करने पर जोर दिया।

डीपीआईआईटी में विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) सुमिता डावरा ने क्रांतिकारी डिजिटल अवसंरचना नियोजन को रेखांकित किया, जिसने केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की 11.98 लाख करोड़ रुपये (143.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की 300 से अधिक परियोजनाओं का मूल्यांकन किया है। इसके अलावा लॉजिस्टिक्स अवसंरचना में सुधार के लिए 5496 करोड़ रुपये (660 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की राज्यों की 200 से अधिक परियोजनाओं की सिफारिश की गई है। उन्होंने मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा उपकरणों के विकास व उपयोग को लेकर क्रॉस-लर्निंग को प्रोत्साहित करने, जमीनी स्तर यानी जिला/शहरी स्थानीय निकाय/प्रखण्ड स्तर तक इसके लाभ पहुंचाने को लेकर प्रधानमंत्री गतिशक्ति सिद्धांतों को अपनाने के लिए जिला आउटरीच कार्यक्रम और राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रधानमंत्री गतिशक्ति पर नियमित पाठ्यक्रमों को संस्थागत बनाकर उसके जरिए क्षमता निर्माण पर जोर दिया।

विशेष सचिव (लॉजिस्टिक्स) ने प्रधानमंत्री गतिशक्ति के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को जियो-टैग किए गए डेटा के विकास के लिए स्थानीय रिमोट सेंसिंग एजेंसियों/अंतरिक्ष एजेंसियों का लाभ उठाना चाहिए। इसके आगे उन्होंने समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री गतिशक्ति के तहत संस्थागत तंत्र की नियमित बैठकें आयोजित करने और अवसंरचना नियोजन के साथ क्षेत्र-विकास सिद्धांतों को एकीकृत करने पर जोर दिया।  

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने प्रधानमंत्री गतिशक्ति का उपयोग करके बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं की मैपिंग और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए कार्यान्वयन योजनाएं विकसित करने में अपनी प्रगति को रेखांकित किया। इसके अलावा उन्होंने राज्य के अधिकारियों के प्रशिक्षण की जरूरत को भी रेखांकित किया, जिस पर बिसाग-एन ने लगातार सहायता प्रदान करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है।

इस वेबिनार में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों व मंत्रालयों/विभागों के 650 से अधिक अधिकारियों, सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, अवसंरचना व सामाजिक क्षेत्र से संबंधित विभागों/मंत्रालयों व बिसाग-एन के आवास आयुक्तों ने हिस्सा लिया।


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