नीति आयोग की जी20 कार्यशाला श्रृंखला-एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने के लिए विकास के डेटा का उपयोग

आरएस अनेजा, नई दिल्ली

नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन 2023 (एनडीएलडी 2023) से निकले सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर प्रगति में तेजी लाने के लिए विकास के डेटा का उपयोग विषय पर एक सफल चर्चा के लिए नई दिल्ली में प्रमुख थिंक टैंक, शिक्षाविद और बहुपक्षीय संगठन एक साथ आए। इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (आईजीआईडीआर) इस कार्यशाला के लिए नीति आयोग के साथ साझेदारी करने वाली एंकरिंग एजेंसी थी। यह कार्यशाला एनडीएलडी 2023 में कार्रवाई मदों के लिए नीति आयोग द्वारा संचालित विषयगत कार्यशालाओं की श्रृंखला का हिस्सा थी। अन्य कार्यशालाओं में पर्यटन, डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, एसडीजी, भारतीय विकास मॉडल जैसे कई और विषय शामिल हैं। सामूहिक रूप से ये सब योजनाबद्ध राष्ट्रीय कार्यशाला के इनपुट हैं।

ताज पैलेस में हुई सम्मानित सभा में विकास के डेटा (डी4डी) के सात सिद्धांतों से संबंधित 4 प्रमुख विषयों पर चर्चा सत्र में विचार-विमर्श किया गया। यह बातचीत भारतीय संदर्भ में विकास के डेटा (डी4डी) के उपयोग के जी20 सिद्धांतों की प्रासंगिकता, अद्वितीय आयामों और कार्यान्वयन के तरीकों पर केंद्रित थी।

इस कार्यशाला की शुरुआत नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी द्वारा डेटा और उनके ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ निर्णयों और कार्यों में सहायता में कमी पर प्रारंभिक चर्चा के साथ हुई। उन्होंने मजबूत डेटा सिस्टम बनाने, लगातार विकसित हो रहे डेटा स्रोतों को शामिल करने और डेटा के आधार पर निर्णय लेने के साथ-साथ डेटा संग्रह के उपायों से जुड़े मुद्दों के बारे में सोचने के महत्व पर प्रकाश डाला। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव श्री एस. कृष्णन ने डेटा एकत्र करने और उसका उपयोग करने के सरकार के विभिन्न प्रयासों, उनकी चुनौतियों और लगातार बदलते तकनीकी परिदृश्य के प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने केंद्रीकृत डेटा विश्लेषण बनाम विकेंद्रीकृत उपयोग को संतुलित करने और गोपनीयता और साइबर सुरक्षा चिंताओं के बारे में बात करते हुए प्रभावी निर्णय लेने की जटिलताओं पर प्रकाश डाला। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) में डीडीजी डॉ. आशुतोष ओझा ने राष्ट्रीय संकेतक ढांचे सहित डेटा और एसडीजी से संबंधित विशिष्ट चिंताओं पर चर्चा की, जो इन मुद्दों का समाधान निकालने की कोशिश है।

इस कार्यशाला में उन विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला सामने आई, जो सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने की दिशा में हमारे काम में तेजी लाने के लिए डी4डी का उपयोग करने के मामले में भारत के लिए प्रासंगिक हैं। इस दौरान कई महत्वपूर्ण विषय सामने आए, जिनमें डेटा का उपयोग कौन कर रहा है, डी4डी हस्तक्षेपों को डिजाइन करने में किसका विकास मायने रखता है, आज डेटा की व्याख्या कौन करता है और कौन करने में सक्षम है, भारत को दुनिया को संतुलित सार्वजनिक डेटा बनाने में मदद करने के लिए नेतृत्व क्यों करना चाहिए, क्यों डिजिटल डेटा सिस्टम को केवल पुराने पेपर-आधारित सिस्टम, उभरते डेटा फ्रेमवर्क, डेटा गुणवत्ता के साथ चुनौतियां, डेटा पर कम और अधिक निर्भरता के साथ चुनौतियां, एआई/एमएल टूल के वादे और सीमाएं और नई प्रौद्योगिकियों एवं सिस्टम उपरोक्त सभी को बदल रहे हैं, शामिल हैं।

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर), बिल एंड मलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ), डिजिटल इंडिया फाउंडेशन, सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज, ग्रांट थॉर्नटन भारत एलएलपी, प्रथम इन्फोटेक फाउंडेशन, एफएचएम एंगेज, संयुक्त राष्ट्र महिला, यूएनडीपी, बदलाव के लिए आईटी, डिजिटल ग्रीन, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कार्नेगी इंडिया, आईएसपीआईआरटी, सेंटर फॉर कम्युनिकेशंस गवर्नेंस (एनएलयू), रिलायंस फाउंडेशन जैसे बीस से अधिक संस्थानों ने अपनी मूल्यवान अंतर्दृष्टि के साथ इस चर्चा सत्र को सार्थक करने के लिए भाग लिया।

नीति आयोग से डॉ. चिंतन वैष्णव, अध्यक्ष स्टार्ट-अप 20 एंगेजमेंट ग्रुप (जी20) और मिशन निदेशक, अटल इनोवेशन मिशन, नीति आयोग और श्री के.एस. रेजिमोज, संयुक्त सचिव, नीति आयोग ने सत्रों की अध्यक्षता की। उन्होंने आईजीआईडीआर से प्रोफेसर मनीषा जैन और प्रोफेसर भारती नंदवानी तथा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) कोलकाता के उप-निदेशक श्री अनिर्बान सरमा के साथ कार्यशाला का सह-संचालन किया।

यह कार्यशाला एक परिणाम दस्तावेज़ तैयार करेगी जो भारत के संदर्भ में एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने को बढावा देने के लिए डेटा का उपयोग करने के तरीके पर चर्चा करेगी। यह दस्तावेज़ आगामी राष्ट्रीय कार्यशाला के लिए एक इनपुट के रूप में कार्य करेगा।

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