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‘‘उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटाने को सही ठहराया है, इसका हम स्वागत करते हैं’’- गृह मंत्री अनिल विज

चण्डीगढ, (KK)- हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने आज कहा कि ‘‘उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटाने को सही ठहराया है, इसका हम स्वागत करते हैं’’। उन्होंने कहा कि इस संबंध में जिन लोगों ने अपील लगाई और समर्थन किया है, उनको अपने लिए कोई न कोई सजा निर्धारित अवश्य करनी चाहिए।

श्री विज आज यहां चण्डीगढ में पत्रकारों द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 370 और धारा 35ए को हटाने के संबंध में दिए गए निर्णय को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

‘‘इससे यह भी साबित हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी देश के संविधान को गीता की तरह पूजती है’’- विज

श्री विज ने कहा कि ‘‘इससे यह भी साबित हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी देश के संविधान को गीता की तरह पूजती है’’। उन्होंने कहा कि ‘‘भाजपा संविधान सम्मत कार्य करती है और इससे यह भी सिद्ध हुआ कि जनसंघ के समय से जो हम मांग कर रहे थे, कि कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाई जाए’’। श्री विज ने कहा कि इसको लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान हुआ और हम कहते रहे कि जहां बलिदान हुए मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है, यानि पार्टी की जो विचारधारा इस बारे में रही है, उस पर भी मोहर लगी है। उसको भी संविधान पीठ ने ठीक माना है कि कश्मीर हिन्दूस्तान का अभिन्न अंग है।

‘इस संबंध में जिन लोगों ने अपील लगाई और समर्थन किया है, उनको अपने लिए कोई न कोई सजा निर्धारित अवश्य करनी चाहिए’- विज

श्री विज ने कहा कि जिन्होंने कोर्ट में अपील लगाई थी, हालांकि उनके बारे में कोर्ट ने कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन जिन लोगों ने अपील लगाई और समर्थन किया है, उनको अपने लिए कोई न कोई सजा निर्धारित अवश्य करनी चाहिए। चाहे एक घंटा निश्चित समय पर अपने को सजा दें लेकिन उनको अपने लिए सजा निर्धारित करनी चाहिए।

कांग्रेस पार्टी के वकीलों और लोगों को सोचना चाहिए- विज

उन्होंने कहा कि इसमें कांग्रेस पार्टी के वकीलों ने मुख्य भूमिका अदा की है, तो उनको भी इस बारे में सोचना चाहिए और लोगों को भी सोचना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने अपने फैसले में कहा कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जो फैसला लिया था वो सही था और यह बरकरार रहेगा। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा बना तभी से जम्मू कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई थी। ऐसे में राष्ट्रपति के पास जम्मू कश्मीर को लेकर फैसला लेने का पूरा अधिकार है।

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