प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज लाल किला पर पहले भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन द्विवार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे
आरएस अनेजा, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम लगभग 4 बजे लाल किला पर आयोजित होने वाले पहले भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन द्विवार्षिक (आईएएडीबी) सम्मेलन 2023 का उद्घाटन करेंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री लाल किला पर आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिजाइन और विद्यार्थी द्विवार्षिक सम्मेलन - समुन्नति का भी उद्घाटन करेंगे।
भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन द्विवार्षिक (आईएएडीबी) का आयोजन 9 से 15 दिसंबर, 2023 तक नई दिल्ली में लाल किला पर किया जा रहा है। यह हाल ही में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय एक्सपो (मई 2023) और पुस्तकालय महोत्सव (अगस्त 2023) जैसी प्रमुख पहलों का भी अनुसरण करता है। भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन द्विवार्षिक (आईएएडीबी) को सांस्कृतिक संवाद को मजबूत करने के लिए कलाकारों, वास्तुकारों, डिजाइनरों, फोटोग्राफरों, संग्राहकों, कला पेशेवरों और जनता के बीच समग्र बातचीत शुरू करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह उभरती अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूप में कला, वास्तुकला और डिजाइन के रचनाकारों के साथ विस्तार और सहयोग करने के रास्ते और अवसर भी प्रदान करेगा।
भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन द्विवार्षिक (आईएएडीबी) में उपरोक्त विषयों पर आधारित मंडप, पैनल चर्चा, कला कार्यशालाएं, कला बाजार, हेरिटेज वॉक और एक समानांतर विद्यार्थी द्विवार्षिक सम्मेलन शामिल होंगे। ललित कला अकादमी में विद्यार्थी द्विवार्षिक (समुन्नति) सम्मेलन विद्याथियों को अपना काम प्रदर्शित करने, साथियों और पेशेवरों के साथ बातचीत करने और डिजाइन प्रतियोगिता, विरासत के प्रदर्शन, स्थापना डिजाइन, कार्यशालाओं आदि के माध्यम से वास्तुकला समुदाय के भीतर मूल्यवान अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा। भारतीय कला, वास्तुकला और डिजाइन द्विवार्षिक (आईएएडीबी) 23 तारीख देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण साबित होने वाला है क्योंकि यह भारत को द्विवार्षिक परिदृश्य में प्रवेश करने की शुरुआत करेगा।
प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' यानी स्थानीय को अपनाएं दृष्टिकोण के अनुरूप, लाल किला पर 'आत्मनिर्भर भारत सेंटर फॉर डिज़ाइन' स्थापित किया जा रहा है। यह भारत के अद्वितीय और स्वदेशी शिल्प का प्रदर्शन करेगा और कारीगरों और डिजाइनरों के बीच एक सहयोगी स्थान प्रदान करेगा। एक स्थायी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करते हुए, यह कारीगर समुदायों को नए डिजाइन और नवाचारों के साथ सशक्त बनाएगा।