ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी आज हमारे बीच से जा रही हैं, परंतु वो जाते हुए अपने पैरों के निशान छोड़ रही हैं जिन पर चलकर जीवन को सार्थक किया जा सकता है - पूर्व गृह मंत्री अनिल विज

ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी आज हमारे बीच से जा रही हैं, परंतु वो जाते हुए अपने पैरों के निशान छोड़ रही हैं जिन पर चलकर जीवन को सार्थक किया जा सकता है - पूर्व गृह मंत्री अनिल विज

ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी जैसी महान विभूतियां प्रभु की कृपा से ही इस धरती पर आती हैं, उनका एक-एक शब्द मोती की तरह - अनिल विज

पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी के अंतिम संस्कार में पहुंच उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की

चंडीगढ़, (KK) - हरियाणा के पूर्व गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री तथा अम्बाला छावनी से विधायक श्री अनिल विज ने कहा कि हजारों लोगों के जीवन में ज्ञान ज्योति जागृत करने वाली ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी आज हमारे बीच से जा रही हैं, परंतु वो जाते हुए अपने पैरों के निशान छोड़ती जा रही हैं। इन निशानों पर चलकर अपने जीवन को सार्थक किया जा सकता है।

श्री विज आज अंबाला में रामबाग शमशानघाट में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी के अंतिम संस्कार के दौरान भारी संख्या में मौजूद लोगों को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले, उन्होंने कृष्णा बहन जी के पार्थिव शरीर पर अपने भाई राजिंद्र विज के साथ पुष्पचक्र अर्पित हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी जैसी महान विभूतियां प्रभु कृपा से ही इस धरती पर आती हैं और ज्ञान का दान देना, यह ईश्वर का जिसपर आदेश होता है वहीं दे पाता है। आम आदमी तो अर्थ का अनर्थ कर देता है मगर जिस पर ईश्वर की कृपा है उसका एक-एक शब्द मोती बनकर सुनने वालों के जहन में उतर जाता है। एक ज्ञान का मोती भी किसी की सारी जिंदगी का रास्ता बदलता है एवं उसे सार्थक करता है। जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उसे अग्रसर करता है। जीवन के अनेक कार्यों में मनुष्य जीवन इसलिए मिलता है कि इस आवागमन के चक्र से मुक्ति हो जाए। मोक्ष मिल जाना भी इस धरती पर मनुष्य के रूप में जन्म लेने का एक साधन है।

बहन कृष्णा जी की वाणी हिमालय की हवाओं की तरह मन में ठंडक पहुंचाती थी - विज

पूर्व मंत्री अनिल विज ने कहा कि उनकी माता जी भी कृष्णा बहन जी के पास आते थे और उन्हें अनेकों बार उन्हें सुनने का अवसर मिला। उनकी वाणी हिमालय की ठंडी हवाओं की तरह थी जो तन और मन में ठंडक उत्पन्न करती थी और उत्तेजित मन को शांत कर देती थी। मैं अपनी और शहर का विधायक होते हुए अम्बाला छावनी के सभी नागरिकों की तरफ से अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।

वहीं, ब्रह्माकुमारी कृष्णा बहन जी की अंतिम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में शहर वासियों ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

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