केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक लॉन्च किए
आरएस अनेजा, नई दिल्ली
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा है कि एकीकृत चिकित्सा का है। आयुष और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित संयुक्त मेगा कार्यक्रम के दौरान आज उन्होंने कहा कि पारंपरिक हेल्थकेयर आगामी भविष्य का नया फैशन ट्रेंड होगा। केंद्रीय मंत्री ने पिछले दशक में आयुष मंत्रालय की उल्लेखनीय विकास यात्रा के लिए बधाई दी और कहा कि आयुष और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
आज के संयुक्त मेगा कार्यक्रम में, डॉ. मांडविया ने देश भर के चुनिंदा एम्स में आयुष - आईसीएमआर अत्याधुनिक एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान (एआई-एसीआईएचआर) की स्थापना और एनीमिया पर मल्टीसेंटर क्लिनिकल परीक्षण की घोषणा की। उद्घाटन सत्र में "आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक" का शुभारंभ और राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ 'आयुर्वेद अमृतनम' का 27वां दीक्षांत समारोह और 29वां राष्ट्रीय सेमिनार भी आयोजित किया गया।
अपने भाषण के दौरान, डॉ मांडविया ने कहा कि आयुष में सहयोगात्मक अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान के बीच के अंतर को दूर करता है और स्वास्थ्य देखभाल के लिए एक साथ मिलकर दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। आयुष और आईसीएमआर के बीच रणनीतिक सहयोग का उद्देश्य एकीकृत स्वास्थ्य अनुसंधान को आगे बढ़ाना, पारंपरिक आयुष प्रथाओं को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के साथ एकीकृत करना और भारत को समग्र स्वास्थ्य देखभाल नवाचारों में सबसे आगे ले जाना है। डॉ. मांडविया ने कहा कि आयुर्वेद हमारी संस्कृति, विरासत और परंपरा का एक हिस्सा है। यह आज भी हमारे दैनिक व्यवहार में अपनाया जा रहा है।
डॉ मांडविया ने कहा कि सरकार आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों विषयों से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण का पालन कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार स्वास्थ्य से संबंधित बढ़ती जरूरतों को देखते हुए गुणवत्ता-उन्मुख स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है। इस दिशा में स्वास्थ्य देखभाल वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) को समान मानकों के एक सेट के रूप में प्रकाशित किया गया था। इन सुधारों को अपनाने से यह उम्मीद की जाती है कि राज्य/केंद्र शासित प्रदेश निर्धारित मानकों और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ आयुष स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को विकसित करने में सक्षम होंगे, जिससे जनता सभी स्वास्थ्य देखभाल के लिए आयुष चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठा सकेगी।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने अपने अपने संबोधन में कहा कि 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना के बाद से ही आयुष क्षेत्र में क्रांति आई है और इस क्षेत्र में नवाचार और समग्र स्वास्थ्य देखभाल की यात्रा का शुभारंभ हुआ है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में साक्ष्य-आधारित आयुष प्रणालियों को सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल में एकीकृत करने, अनुसंधान को बढ़ावा देने और नवाचार को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। आज, हमें इन दशकों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली एक व्यापक पुस्तिका लॉन्च करने पर गर्व है, जो समग्र स्वास्थ्य देखभाल के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता और स्वस्थ, जीवंत भारत के लिए उसके दृष्टिकोण के प्रमाण के रूप में कार्य करती है।