हरियाणा के मुख्य सचिव ने दिए ग्रुप-सी और डी पदों के लिए मांग प्रस्तुत करने के निर्देश

हरियाणा के मुख्य सचिव ने दिए ग्रुप-सी और डी पदों के लिए मांग प्रस्तुत करने के निर्देश

चंडीगढ़ (KK) हरियाणा के मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने सभी विभागाध्यक्षों, बोर्डों और निगमों के प्रबंध निदेशकों, मुख्य प्रशासकों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने विभागों या संगठनों में ग्रुप-सी और डी के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के समक्ष मांग अपलोड व प्रस्तुत करें।

मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा आज यहां जारी एक पत्र में स्पष्ट किया गया है कि ग्रुप-सी के वे पद, जिनके लिए मांग पहले ही आयोग को भेजी जा चुकी है और वर्तमान में आयोग द्वारा जारी विज्ञापन संख्या 03/2023 (केवल ग्रुप-सी) दिनांक 7 मार्च, 2023 के तहत भर्ती की प्रक्रिया में हैं, उनके लिए मांग भेजने की आवश्यकता नहीं है। सभी विभागों, बोर्डों और निगमों को ऐसे पदों, जो वर्तमान में भर्ती के अधीन हैं, को रिक्त नहीं मानना चाहिए और उन्हें अपलोड की जाने वाली नई मांग में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

प्रत्येक विभाग, बोर्ड या निगम के मुखिया द्वारा यह मांग तैयार करके इसे हरियाणा नॉलेज कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा इस उद्देश्य के लिए बनाए गए पोर्टल http://hsscor.hkcl.in:8080/HSSCList/using पर अपलोड किया जाएगा, जिसमें विभागों, बोर्डों और निगमों को पहले दिए गए लॉगिन क्रेडेंशियल का उपयोग किया जाएगा।

हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मुद्दों को हल करने के लिए शुरू किया ‘स्वीप’ कार्यक्रम

हरियाणा के मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद, जो राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं, ने बताया कि गुरुग्राम में अनुपचारित अपशिष्ट के चिंताजनक स्तर, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, के मद्देनजर सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा-22 के तहत गुरुग्राम में पालिका ठोस अपशिष्ट की नितांत आवश्यकता घोषित की है। इन महत्वपूर्ण अपशिष्ट प्रबंधन मुद्दों को हल करने के लिए ‘स्वीप’ (ठोस अपशिष्ट पर्यावरण आवश्यकता कार्यक्रम) भी शुरू किया किया गया है।

श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने बताया कि मंडलायुक्त, उपायुक्त, म्यूनिसिपल कमिश्नर, गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंतत्रण बोर्ड के वरिष्ठ पर्यावरण इंजीनियर और पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) को मिलाकर बनाई गई एक उच्च स्तरीय समिति की अगुवाई में ‘स्वीप’ कार्यक्रम का उद्देश्य गुरुग्राम में अपशिष्ट प्रबंधन को दुरुस्त करना है।

उन्होंने बताया कि इस समिति को गुरुग्राम और जीएमडीए क्षेत्रों के सभी 35 वार्डों में अपशिष्ट संग्रह, पृथक्करण, परिवहन, प्रसंस्करण और निपटान के लिए तीन स्तरीय प्रणाली को लागू करने का काम सौंपा गया है। अतिरिक्त उपायों में सक्रिय निगरानी के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन के साथ 24X7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना, मौजूदा बुनियादी ढांचे का अंतर-विश्लेषण करना, अपशिष्ट ट्रैकिंग के लिए जीआईएस-आधारित मानचित्र बनाना और एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना शामिल है। यह कार्यक्रम निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट के प्रबंधन, अपशिष्ट प्रसंस्करण के लिए पर्याप्त मशीनरी सुनिश्चित करने, स्वच्छता पुरस्कार स्थापित करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) योजना शुरू करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। दैनिक रिपोर्ट एसडीएमए को प्रस्तुत की जाएगी और आदेशों के किसी भी उल्लंघन के लिए संबंधित कानूनों के अनुसार दंडात्मक उपाय किए जाएंगे। स्वीप पहल को अंततः हरियाणा के अन्य पालिका क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मुख्य सचिव ने बताया कि इस आदेश के किसी भी तरह से उल्लंघन पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, नगर निगम अधिनियम, 1994 और अन्य लागू कानूनों के तहत दंडात्मक प्रावधान लागू होंगे। उल्लंघन के परिणामस्वरूप संबंधित अधिनियमों और विनियमों के अनुसार जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है।

यह कदम 13 मई, 2024 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) की टिप्पणियों के मद्देनजर उठाया गया है, जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में स्वच्छ पर्यावरण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय का मानना है कि अनुपचारित ठोस अपशिष्ट पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और नागरिकों के प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के अधिकार का भी उल्लंघन करता है। एन.जी.टी. ने पहले स्थिति को पर्यावरणीय आपातकाल के रूप में वर्णित करते हुए इससे और अधिक गंभीर तरीके से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया था।

आतिथ्य सुविधाओं के लिए हरियाणा लागू करेगा स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग सिस्टम

सड़क के साथ लगती सुविधाओं और सड़क के साथ अपशिष्ट निपटान के निर्माण के लिए होगा टास्क फोर्स का गठन

हरियाणा के मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन. प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार ने आतिथ्य सुविधाओं के लिए स्वैच्छिक आधार पर स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग सिस्टम लागू करने का निर्णय लिया है। यह प्रणाली उन्हें “सुरक्षित तौर पर प्रबंधित स्वच्छता” को बढ़ावा देने वाली प्रथाओं का पालन करने और स्टार-रेटिंग प्रणाली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

श्री प्रसाद ने यह जानकारी आज यहां आतिथ्य सुविधाओं में स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग पर आयोजित पहली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद दी।

उन्होंने कहा कि यह प्रणाली आतिथ्य सुविधाओं के संचालकों को पर्याप्त बुनियादी ढांचा विकसित करने, अच्छी प्रथाओं को अपनाने और जिम्मेदार पर्यटन के हिस्से के तौर पर स्वच्छता और सफाई पर जागरूकता पैदा करने में मदद करेगी। स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) प्लस का दर्जा प्राप्त करने के साथ-साथ स्वच्छता और सफाई के प्रोत्साहक के रूप में आतिथ्य संस्थाओं के लिए एक सकारात्मक छवि और ब्रांडिंग बनाने के लिए डिजाइन की गई है। इसके लक्ष्य समूह में सभी तरह की सार्वजनिक और निजी पर्यटक सुविधाएं जैसे होटल, होम स्टे, धर्मशालाएं, लॉन्ज, पोर्टेबल शौचालय सुविधाएं या ट्रैकिंग समूह सहित शिविर भी शामिल हैं।

मुख्य सचिव ने कहा कि सार्वजनिक और निजी पर्यटक सुविधाओं में आम जनता, विशेषकर पर्यटकों के लिए साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए सड़क के साथ लगती सुविधाओं और सड़क के साथ अपशिष्ट निपटान के निर्माण के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजमार्गों पर स्थित ढाबों और पेट्रोल पंपों पर सार्वजनिक शौचालयों की सफाई के लिए मिशन मोड में अभियान चलाया जाना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक जिले में एक ढाबा और एक पेट्रोल पंप को पायलट आधार पर लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं को विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के माध्यम से स्वच्छता ग्रीन लीफ कार्यकर्ता के रूप में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि सभी हितधारकों की कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी ताकि उन्हें अवधारणा और प्रक्रिया के विषय में संवेदनशील बनाया जा सके और उनसे फीडबैक भी लिया जा सके।

स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए, एक त्रि-स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसमें मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति, उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति और एस.डी.एम. की अध्यक्षता वाली सत्यापन उप-समिति शामिल हैं।

मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा पर्यटन मंत्रालय के साथ मिलकर देश की आतिथ्य सुविधाओं में स्वच्छता ग्रीन लीफ रेटिंग प्रणाली शुरू की गई है। रेटिंग प्रणाली देश की आतिथ्य सुविधाओं को संवेदनशील बनाएगी। उन्होंने कहा कि सभी सार्वजनिक शौचालयों की मैपिंग की जाएगी ताकि लोगों को इस सुविधा का उपयोग करने में आसानी हो।

डॉ. अमित अग्रवाल ने कहा कि आतिथ्य सुविधा को रैंकिंग देने के लिए तीन केंद्रित थीम हैं जैसे-सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, फेकल स्लज मैनेजमेंट (मानव मल का प्रबंधन) और ग्रे वाटर मैनेजमेंट। इन थीमों के मापदंडों को चार खंडों में विभाजित किया गया है-बुनियादी ढांचे से संबंधित, प्रथाओं से संबंधित, जागरूकता पैदा करने से संबंधित (उद्देश्यों के लिए प्रचार) और सुविधा में इन विषयों पर प्रदर्शित कोई भी नवाचार। कुल 200 अंक दिए जाने हैं, जिनमें से 80 अंक फेकल स्लज मैनेजमेंट (मानव मल प्रबंधन), 80 अंक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और 40 अंक ग्रे वाटर मैनेजमेंट के लिए हैं। भाग लेने वाली संस्थाओं को स्वच्छता ग्रीन लीफ प्रमाणन के लिए पात्र बनने के लिए प्रत्येक विषय में कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। 

बैठक में धरोहर एवं पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव श्रीमती कला रामचंद्रन, ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक श्री जय कृष्ण अभीर तथा पर्यटन विभाग के निदेशक श्री प्रभजोत सिंह समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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