हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने अपने निवास पर वायरलेस से सभी एसपी से बात कर जांच लंबित रखने वाले जांच अधिकारियों की सस्पेंशन के आर्डर आज शाम तक E-mail पर भेजने को कहा।

हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सख्त लहजे में पुलिस कमिश्नर व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिये हैं कि पुलिस मुख्यालय द्वारा एक साल से अधिक समय से लम्बित केसों में जिन जांच अधिकारियों को निलम्बित करने के आदेश दिये गये हैं, सम्बन्धित पुलिस कमीश्नर व पुलिस अधीक्षक आज शाम तक बिना किसी देरी के तुरंत प्रभाव से इन जांच अधिकारियों को सस्पेंड करने के आदेश जारी करते हुए उसकी प्रति गृह विभाग/कार्यालय में भेजना सुनिश्चित करें। इस कार्य में किसी प्रकार की लापरवाही कतई सहन नही की जाएगी। गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री आज वॉकी-टॉकी के माध्यम से पुलिस महानिदेशक, एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर, रेंज एडीजीपी , रेंज आईजी , डीआईजी व एसपी से बात कर रहे थे।

गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि पुलिस महानिदेशक, एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर, रेंज एडीजीपी, रेंज आईजी , डीआईजी व एसपी सभी मिलकर हरियाणा पुलिस को देश की बेहतरीन पुलिस बनाने का काम कर रहे हैं, मैं भी हर गतिविधि पर नजर रखता हूं, 372 जांच अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है, मैने खुश होकर इस कार्य को नहीं कर रहा हूं, दुखी होकर इस कार्य को किया है क्योंकि एक साल से मैं लगातार सभी बैठकों में अधिकारियों को एक साल से लम्बित जोभी केस हैं, उनका निपटान करने बारे बार-बार कह चुका हूं व आदेश भी दे चुका हूं। इतना ही नहीं अम्बाला में रात को दो-दो बजे तक जनता दरबार लगाकर पीडि़त लोगों की शिकायतें भी सुनता हूं, जिनमें से अधिकतर शिकायतें पुलिस विभाग से सम्बन्धित होती हैं।

गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने यह भी कहा कि 372 जांच अधिकारियों को सस्पेंड करने की इतनी बड़ी कार्रवाई पहली बार देश में हुई है। उन्होंने सम्बन्धित पुलिस अधीक्षकों को यह भी निर्देश दिये कि इन 372 जांच अधिकारियों के अलावा जिन भी अन्य केसों में एक साल से लम्बित किसी जांच अधिकारी की संलिप्ता है तो उस जांच अधिकारी को भी सस्पेंशन लिस्ट में डालें। उन्होंने कहा कि केसों की इतने समय से पेंडेंसी पुलिस विभाग की तस्वीर को दर्शाता है, इसे हमें सुधारना है, लोगों को न्याय नहीं मिलता और वे इधर-उधर भागते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिन जांच अधिकारियों को सस्पेंड करने के आदेश दिये गये हैं, उससे पहले पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर इन जांच अधिकारियों से पत्राचार करके स्पष्टीकरण भी मांगा गया था लेकिन सम्बन्धित 372 जांच अधिकारियों को जवाब संतोषजनक न होने के कारण उन्हें सस्पेंड किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि एक साल से ज्यादा लम्बित केस जो फाईनल स्टेज पर हैं, उनका निपटान किसी भी तरह से किया जा सकता था, चाहे वह कोर्ट के माध्यम से, यदि शिकायत झूठी है तो उसे रद्द करके या अन्य नियमानुसार किया जा सकता है, मकसद एक साल से लम्बित केसों को निपटान होना था ताकि पीडि़त को समय रहते न्याय मिल सके।

गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने यह भी कहा कि इस विषय बारे उन्होंने तत्कालीन पुलिस महानिदेशक पी.के. अग्रवाल को पत्र लिखा था और उसके बाद लम्बित केसों को जो आंकड़ा 3229 प्राप्त हुआ, वो बहुत बड़ा आंकड़ा है, इससे अनुमान लगाया जो सकता है कि यही भ्रष्टाचार का कारण है कि पीडि़त को न्याय नहीं मिल रहा और शिकायतें लम्बित पड़ी हैं। मेरी जनता के प्रति जवाबदेही है,मेरे पास गृह विभाग है और लोगों को न्याय मिले, यह मेरा दायित्व भी है। उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि इस समाचार पत्र के माध्यम से उन्हें आज यह जानकारी मिली है कि एक डीएसपी दहेज के एक मामले में पांच साल से उचित कार्रवाई नही कर रहा है और वह शिकायत लम्बित है, उसे भी सस्पेंड किया गया है। पीडि़त को इतने वर्षों बाद न्याय मिले, यह भी उचित नहीं है।

गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने यह भी कहा कि जिन लम्बित केसों में कार्रवाई नहीं हुई है, उन्हें सम्बन्धित जिलों के डीएसपी को सुपुर्द किया जाएगा और उन्हें भी यह सख्त निर्देश हैं कि वे एक मास के अंदर अंदर इन केसों को निपटान करें अन्यथा उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। वी.टी. के माध्यम से गृह मंत्री ने पुलिस कमीश्नर/डीआईजी व पुलिस अधीक्षकों से भी इन 372 जांच अधिकारियेां के खिलाफ अब तक जो कार्रवाई की गई है, उसकी भी जानकारी ली। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन 372 जांच अधिकारियों को बिना किसी देरी के सस्पेंड करना सुनिश्चित करें।

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