गृह मंत्रालय द्वारा मुंबई में मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्रों का संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन संपन्न

आरएस अनेजा, नई दिल्ली

केंद्रीय  गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा मुंबई में मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन किया गया । मुंबई के नाभिकीय उर्जा भवन, अणुशक्ति नगर में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस  जी ने की तथा केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा जी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। 

राजभाषा हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न कार्यालय तथा सरकारी उपक्रमो और बँको का, सरकारी अधिकारी तथा कर्मचारीओंको मान्यवरोंके हाथो सन्मानचिन्ह और प्रमाणपत्र देकर सन्मानित किया गया। 

 इस अवसर पर  राज्यपाल रमेश बैस जी ने कहा कि  भाषा किसी भी राष्ट्र और समाज की आत्मा होती है जिसमें वह देश संवाद करता है, अपने भावों को अभिव्यक्त करता है। राष्ट्र की पहचान इस बात से भी होती है कि उसने अपनी भाषाओं को किस सीमा तक मजबूत, व्यापक एवं समृद्ध बनाया हैI उन्होंने कहा कि भाषा हमारे विचारों का परिधान होती है और हिंदी भाषा में भारत के वह विशिष्ट सांस्कृतिक मूल्य हैं, जिनकी वजह से हम पूरे विश्व में अतुलनीय हैं। सच यह है कि हिंदी, विभिन्न भाषा-भाषी भारतीयों के सुख-दुख, आशा-निराशा, उनकी सोच, उनके संघर्ष, अभिलाषाओं और अभिव्यक्ति की भाषा हैI

 उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है -‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबकी भलाई । हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि देश की जनता की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सभी प्रकार की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली योजनाओं व कार्यक्रमों को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना सरकारी तंत्र का अति महत्वपूर्ण कर्तव्य है और उसकी सफलता की कसौटी भी । उनका कहना था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी मानी जाएंगी जब जनता और सरकार के बीच निरंतर संवाद, संपर्क और पारदर्शिता बनी रहे और सरकार की योजनाओं का लाभ देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मिले और जन-जन तक उनके हित की बात उनकी ही भाषा में पहुंचाई जाए l

राजपाल महोदयने आगे कहा कि जो भी भाषाएं भारत में बोली जाती हैं वे सभी ‘राष्ट्र की भाषाएं’ हैं । उनमें परस्पर कोई प्रतिद्वंद्विता नहीं है, वे सभी एक दूसरे की पूरक हैं । हिंदी का उदभव एवं विकास भारत की क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हुआ है । मूलत: ये सभी भाषाएं भारत की संस्कृति की मिट्टी से ही उत्पन्न हुई हैं ।  हिंदी निर्विवाद रूप से देश की राजभाषा के साथ-साथ संपर्क भाषा भी है, इसलिए हिंदी में विषय सामग्री की समृद्धि से दूसरी भारतीय भाषाओं का भी विकास होगाI

 इस अवसर पर  माननीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा जी ने कहा कि  राजभाषा के कार्यों को बढावा देने के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं l राजभाषा विभाग का प्रयास है कि स्वप्रेरणा से लक्ष्यों को प्राप्त किया जाये l

अजय कुमार मिश्रा जी ने कहा कि भाषा के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, हमारी भाषाओं में किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नहीं है l  प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में सभी भाषाएँ आगे बढ़ी हैं, सभी का सम्मान बढ़ा है और हीन भावना समाप्त हुई है l

अजय मिश्रा जी ने कहा कि हमें 2047 तक भाषाई रूप से समृद्ध होना है। राजभाषा विभाग तकनीकी विकास के कार्य कर रहा है जिसमें कंठस्थ, लीला ऐप , ई - महा शब्दकोश तथा हिंदी शब्द सिंधु  आदि शामिल हैं l

अजय मिश्रा जी ने यह भी कहा कि सभी क्षेत्रों में भारत के विकास की रफ्तार बढ़ी है l माननीय प्रधान मंत्री जी ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को विश्व के सामने रखा है l लगभग 48 देशों में हमारे प्रतिनिधि भाषा और संस्कृति के विकास को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं l

 न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री भुवन चंद्र पाठक, गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग की सचिव श्रीमती अंशुली आर्या, संयुक्त सचिव डॉ मीनाक्षी जाँली सहित केंद्र सरकार और केंद्रीय कार्यालयों के वरिष्ठ अधिकारी तथा कर्मचारी इस सम्मेलन में उपस्थित रहे।

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