बिजली क्षेत्र की चुनौतियों पर विचार-विमर्श के लिए राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के बिजली तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया

"बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, सभी राज्यों को सभी बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता पर चलाने की आवश्यकता है": केंद्रीय बिजली एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह

आरएस अनेजा, नई दिल्ली

केन्द्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के अपने समकक्षों के साथ बैठक की और देश में बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज़ वृद्धि का प्रतीक है। 6-7 नवंबर, 2023 के दौरान नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, श्री सिंह ने कहा कि अगर हमने बिजली क्षेत्र में ये बदलाव नहीं किया होता, तो भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाता। उन्होंने कहा, 'आर्थिक वृद्धि बिजली क्षेत्र पर निर्भर है। बिजली क्षेत्र राष्ट्र की प्रगति में एक मूलभूत प्रेरक शक्ति है।


"विकास के लिए बिजली पर कोई समझौता करने की आवश्यकता नहीं है, भले ही इसका मतलब कोयला आधारित क्षमता में वृद्धि करना क्यों न हो"

चुनौतियों के बारे में मंत्री महोदय ने कहा कि आगामी सीओपी-28 बैठक में कोयले के उपयोग को कम करने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है, लेकिन भारत अपने विकास के लिए बिजली की उपलब्धता पर कोई समझौता नहीं करने जा रहा है। उन्होंने कहा, 'सीओपी-28 का आयोजन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में होने जा रहा है। सीओपी में देशों पर कोयले के उपयोग को कम करने का दबाव होने जा रहा है। हम ऐसा नहीं करने जा रहे हैं, क्योंकि हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट है कि हम अपने विकास के लिए बिजली की उपलब्धता से समझौता नहीं करने जा रहे हैं, भले ही इसके लिए हमें कोयला आधारित क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता क्यों न हो। साथ ही, हमें उन लक्ष्यों को हासिल करने की आवश्यकता है, जो हमने सीओपी में अपने लिए निर्धारित किए थे।

"बिजली की मांग अभूतपूर्व रूप से बढ़ी है, जो दर्शाता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बढ़ रही है"

बिजली मंत्री ने कहा कि दूसरी चुनौती तेजी से बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने की है, लेकिन सरकार मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त क्षमता उपलब्ध कराके इसे दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, "अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2023 में पिछले साल की तुलना में मांग में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है। इसके अलावा, हमने हाल ही में 2.41 लाख मेगावाट की सबसे ज्यादा मांग को पूरा किया, जबकि 2017-18 में सबसे ज्यादा मांग 1.9 लाख मेगावाट थी। यदि अधिकतम मांग और भी अधिक बढ़ती है, तो हम इसे पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। यह एक चुनौती है, जिसे हमें संबोधित करने की आवश्यकता है।

"बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, सभी राज्यों को सभी बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता पर चलाने की आवश्यकता है"

श्री सिंह ने कहा कि बढ़ती मांग की चुनौती से निपटने के लिए, सरकार ने एक तरीका यह सोचा है कि सभी बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता के साथ चलाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'हमने देखा है कि कुछ राज्य अपने बिजली संयंत्रों को अधिकतम क्षमता पर नहीं चलाते हैं और इसके बजाय वे केंद्र के पूल से बिजली मांगते हैं। यदि कुछ राज्य अपने संयंत्रों को अधिकतम क्षमता पर नहीं चला रहे हैं, तो हम केंद्रीय पूल से उनकी अतिरिक्त मांगों को पूरा नहीं कर पाएंगे। हमें यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा कि हमारे सभी संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से चलें।

"बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, निर्माणाधीन लगभग 80,000 मेगावाट तापीय क्षमता की आवश्यकता है"

मंत्री महोदय ने कहा कि इसके अलावा, हमें क्षमता बढ़ाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा, 'इससे पहले करीब 25,000 मेगावॉट की क्षमता स्थापित की जानी थी, जिनमें से ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र में थीं। लेकिन यह पर्याप्त नहीं थी; इसलिए, हमने 25,000 मेगावाट जोड़ने पर काम शुरू किया, लेकिन हमें अतिरिक्त 30,000 मेगावाट पर काम शुरू करने की भी आवश्यकता है अर्थात्, हमें निर्माणाधीन लगभग 80,000 मेगावाट थर्मल क्षमता की आवश्यकता है।

"सभी राज्यों को आपूर्ति-मांग अंतर को दूर करने के लिए कोयला सम्मिश्रण करना चाहिए"

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि घरेलू कोयले की खपत और घरेलू कोयले की आवक के बीच का अंतर एक और चुनौती है। उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन है कि कोल इंडिया ने ज़रूर उत्पादन बढ़ाया होगा, लेकिन हमारी मांग तेजी से बढ़ी है। इससे कमी हो गई है और इसलिए हमें 6 प्रतिशत सम्मिश्रण करने की आवश्यकता है। एनटीपीसी और डीवीसी सम्मिश्रण कर रहे हैं, राज्यों को भी कोयले की कमी के आधार पर सम्मिश्रण करना चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि उपलब्ध कोयले को आवश्यकताओं के आधार पर राज्यों के बीच समान रूप से वितरित करना होगा। उन्होंने कहा, 'हम बिजली में राजनीति नहीं करते। यह एक पूरी तरह से एकीकृत प्रणाली है; बिजली कुछ राज्यों में पैदा होती है और 3-4 अलग-अलग राज्यों में इसकी खपत होती है। कहीं कोयला पैदा होता है, कहीं हवा और कहीं सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है। हम कोई पक्षपात नहीं करने जा रहे हैं। कमी को सभी के द्वारा साझा किया जाना चाहिए और सभी के द्वारा इसकी पूर्ति किया जाना चाहिए।

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