फ़िल्म जगत के दिग्गजों के परिवारों ने विश्व की सबसे बड़ी फ़िल्म रिस्टोरेशन परियोजना के जरिए भारत की सिनेमाई विरासत को संरक्षित करने के एनएफडीसी-एनएफएआई के प्रयासों की सराहना की
आरएस अनेजा, नई दिल्ली
सिनेमा महज़ मनोरंजन की वस्तु होने से कहीं ज्यादा है, वह किसी देश की संस्कृति, इतिहास और सामाजिक विकास का प्रतिबिंब भी है। भारत जैसे विविधता भरे और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में अपनी सिनेमाई विरासत को संरक्षित करने के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है।
हालांकि, दिग्गज अभिनेताओं और फ़िल्मकारों द्वारा बनाए गए अनूठे फ़िल्मी नगीनों पर प्रिंट खराब होने और उचित संरक्षण की कमी के चलते वक्त के साथ लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, राष्ट्रीय फ़िल्म हैरिटेज मिशन के हिस्से के रूप में पुरानी क्लासिक फ़िल्मों को पुनर्स्थापित और संरक्षित करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रयासों को प्रतिष्ठित फ़िल्मी हस्तियों से प्रशंसा मिली है, जिन्होंने भारत के रिस्टोर किए गए फ़िल्मी नगीनों को देखने के अपने अनुभव बताए हैं। विश्व सिनेमा दिवस के मौके पर बोलते हुए उन्होंने इसके महत्व पर बल दिया। प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री और दादा साहब फाल्के पुरस्कार 2023 प्राप्त करने वालीं वहीदा रहमान, जो कि रेशमा और शेरा, गाइड, चौदहवीं का चांद जैसी क्लासिक्स के साथ-साथ बहुत सी अन्य शानदार फ़िल्मों से जानी जाती हैं, उन्होंने अपनी एक रिस्टोर की गई क्लासिक देखने का अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, "मुझे अपनी ख़ुद की फ़िल्में देखना पसंद नहीं क्योंकि उनमें बस कमियां ही कमियां नज़र आती हैं, लेकिन गाइड के रिस्टोर किए संस्करण को देखकर मुझे बेहद सुखद आश्चर्य हुआ। 60 वर्षों के बाद भी यह एक समझदार और परिपक्व फ़िल्म बनी हुई है जो बहुत मनोरंजक भी है। अपनी बेटी के साथ इसे बड़े परदे पर देखना एक विशेष रोमांचकारी अनुभव था। मैं इन फ़िल्मों को रिस्टोर करने और आने वाली पीढ़ियों के मनोरंजन के लिए इन्हें हूबहू बचाकर रखने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को धन्यवाद देना चाहती हूं।" प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक गोविंद निहलानी ने कहा, “मेरी फ़िल्म ‘आघात’ का रिस्टोर किया गया संस्करण देखना बेहद संतोष भरा था। इसकी साउंड क्वालिटी, कलर करेक्शन, ग्रेन मैनेजमेंट सब कुछ उत्कृष्ट था। मुझे खुशी है कि एमआईबी और एनएफडीसी-एनएफएआई ने मेरी 35 मिमी फ़िल्म आघात को रिस्टोर किया।"
यकीनन, एनएफडीसी-एनएफएआई ने भारत के सिनेमाई ख़जाने को सुरक्षित रखने और संग्रहीत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि भावी पीढ़ियां भारतीय सिनेमा की समृद्ध विरासत तक पहुंच सकें और उसे सराह पाएं। 2015 में शुरू किया गया राष्ट्रीय फ़िल्म हैरिटेज मिशन, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तत्वावधान में एक सरकारी पहल है। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारत की विशाल सिनेमाई विरासत को सुरक्षित, संरक्षित और डिजिटलीकृत करना है। एनएफएचएम एक विशाल उपक्रम है जिसमें फ़िल्म संरक्षण के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें खराब होती फ़िल्मों को रिस्टोर करना, फ़िल्मी प्रिंटों का डिजिटलीकरण, दस्तावेज़ीकरण और निवारक संरक्षण करना शामिल है। यह सब एनएफडीसी-एनएफएआई के पुणे परिसर में अत्याधुनिक रिस्टोरेशन और डिजिटलीकरण सुविधाओं में किया जाता है।
एनएफडीसी-एनएफएआई के बारे में:
एनएफडीसी-एनएफएआई का मुख्यालय पुणे में है। यह भारत और दुनिया भर से फ़िल्मों को इकट्ठा करने, सूचीबद्ध करने और संरक्षित करने के लिए जिम्मेदार है। मूक क्लासिक फिल्मों, वृत्तचित्रों, फीचर फ़िल्मों और लघु फ़िल्मों सहित 30,000 से अधिक फ़िल्मों के विशाल संग्रह के साथ एनएफएआई भारत के सिनेमाई इतिहास के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
फ़िल्म संरक्षण के प्रति एनएफएआई की प्रतिबद्धता का उदाहरण इसकी अत्याधुनिक फ़िल्म भंडारण सुविधाएं, तापमान नियंत्रित वॉल्ट और विशेषज्ञता रखने वाले कर्मचारी हैं जो फ़िल्मी रीलों की सावधानीपूर्वक देखभाल को समर्पित हैं। एनएफएचएम के अंतर्गत, एनएफडीसी-एनएफएआई खराब होती फ़िल्मों को उनके मूल स्वरूप में वापस लाने के लक्ष्य के साथ फ़िल्म रिस्टोरेशन पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है। एनएफडीसी-एनएफएआई सिनेमा के क्षेत्र में अनुसंधान और शिक्षा के केंद्र के रूप में भी कार्य करता है। अध्येता, फ़िल्मकार और सिनेप्रेमी अकादमिक और रचनात्मक उद्देश्यों के लिए इसके संसाधनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह न केवल भारत के सिनेमाई इतिहास की गहरी समझ को बढ़ावा देता है बल्कि अतीत से प्रेरणा लेने वाले नए कार्यों के निर्माण को भी प्रोत्साहित करता है। फ़िल्मों को संरक्षित और डिजिटलीकृत करके, इस माध्यम की प्रशंसा को बढ़ावा देकर और सिनेमा के क्षेत्र में अनुसंधान एवं रचनात्मकता का समर्थन करके, एनएफडीसी-एनएफएआई सुनिश्चित करता है कि आने वाली पीढ़ियां भारत के विविध सिनेमाई इतिहास से जुड़ सकें।
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