परमिशन रिजेक्ट कर गालियां लिखने के मामले में चुनाव आयोग ने लीपापोती की कार्रवाई की : अनुराग ढांडा

निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग का निष्पक्ष होना जरुरी : अनुराग ढांडा*

चंडीगढ़, 09 अप्रैल

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता का मुद्दा उठाया। उनके साथ प्रदेश संयुक्त सचिव मोना सिवाच और पंचकूला जिला अध्यक्ष रंजीत उप्पल भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ साढ़े चार साल साझेदार रही जजपा में हड़कंप मचा हुआ है और जिस प्रकार पूरे हरियाणा में भाजपा के उम्मीदवारों को विरोध हो रहा है। ये स्पष्ट दिखाता है कि पूरा माहौल भाजपा और उनके किसी भी सहयोगी के खिलाफ है। भाजपा की नीतियों की वजह से और उनका साथ देने वाले हर व्यक्ति से हरियाणा के लोग नफरत करने लगे हैं। लेकिन इसको चुनाव परिणाम तबदील होने के लिए एक निष्पक्ष चुनाव का होना बहुत जरुरी है और उस निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग का निष्पक्ष होना बहुत जरुरी है। हमें बड़े खेद के साथ ये कहना पड़ रहा है कि मौजूदा स्थिति में चुनाव आयोग लेवल प्लेइंग फिल्ड उपलब्ध करा पाने में विफल है। सभी पार्टियों को जो बराबरी का मौका मिलना चाहिए वो उपलब्ध करा पाने में चुनाव आयोग नाकाम है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में कैथल में आम आदमी पार्टी ने अपने कार्यक्रमों की परमिशन के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आवेदन किया था, जिसमें परमिशन तो रिजेक्ट की ही गई साथ में गालियां लिखकर जवाब दिया गया। इस मामले में चुनाव आयोग शुरु से ही लिपापोती की कार्रवाई कर रहा है। सबसे पहले चुनाव आयोग ने पांच निचले कर्मचारियों को सस्पेंड कर मामले को रफादफा करने का प्रयास किया। जिनको सस्पेंड किया वो एचकेआरएन के तहत अनुबंधित कर्मचारी थे, उनको कौन से नियम के तहत सस्पेंड किया गया था। लेकिन जब मामला पूरे देश में चर्चा में आ गया तो खानापूर्ति करने के लिए कहा गया कि उपचुनाव अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया। चुनाव आयोग बताए कि यदि किसी जुर्म में एक उपचुनाव अधिकारी को सस्पेंड किया गया है तो चुनाव अधिकारी कैसे सुरक्षित है। न चुनाव अधिकारी निलंबित होते हैं और न उनका तबादता होता है। वो आज भी अपनी जगह पर सुरक्षित काम कर रहे हैं जबकि उनके कार्यालय में उनके अधीन इस तरह का पहला मामला देश में हुआ कि किसी पार्टी को गाली लिखकर उनकी परमिशन को रिजेक्ट किया गया हो। आखिर इस कैथल के चुनाव अधिकारी को किसकी सह है जो इनको हाथ नहीं लगाते हैं।

उन्होंने कहा कि ये वही चुनाव अधिकारी है जो चुनाव आचार संहिता लागू होते हुए भी चुनाव आचार संहिता के दौरान भाजपा के विधायक के इशारे पर प्रशासनिक कार्रवाई को रोकते और करते हैं। जिसके अनेकों उदाहरण अखबारों में छपते रहे हैं। इसका मतलब इस चुनाव अधिकारी को भाजपा सरकार का संरक्षण मिल रहा है। सवाल ये है कि ऐसे चुनाव अधिकारी के होते हुए निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस प्रकरण कैथल और पूरे हरियाणा की जनता देख रही है। हम इंतजार कर रह थे कि चुनाव आयोग आगे कुछ कार्रवाई करेगा।

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने इस मामले में सामान्य एफआईआर दर्ज करवाई है, जैसे ये कोई सामन्य सी घटना है। जिस वेबसाइट पर पूरे देश के चुनाव के नतीजे आते हैं उस वेबसाइट का हैक होना चुनाव आयोग के लिए इतनी सामान्य सी घटना था कि आईपीसी की एक भी धारा को जोड़ा नहीं गया। आईपीसी की धारा 166 और 167 कहती है कि जब कोई सरकारी अधिकारी गलत रिकॉर्ड या गलत डॉक्यूमेंट बनाता है तो ये धारा उस पर लगती है। जबकि चुनाव आयोग के पोर्टल पर गलत डॉक्यूमेंट नहीं बनाया बल्कि उसमें गंदी गालियां लिखकर भेजी। उसके बावजूद भी ये धारा नहीं लगाई गई। धारा 102बी (क्रीमिलन कॉन्सपेरेंसी) के तहत इस बात की जांच क्यों नहीं होनी चाहिए कि भाजपा की सह पर चुनाव आयोग में बैठे अधिकारियों के इशारे पर जान बुझकर आम आदमी पार्टी को नीचा दिखाने के लिए इस तरीके की कार्रवाई की गई। आज ये सारे सवाल हरियाणा और देश की जनता के मन में है।

उन्होंने कहा कि यदि चुनाव आयोग सतही एफआईआर कराए तो उसका क्या असर होता है, इसका अंदाजा कैथल की 2019 की एफआईआर से लगाया जा सकता है। जिसमें 2019 में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने हुड़दंग मचाया था और उसमें 60,70 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन इसमें चुनाव आयोग ने किसी का भी नाम नहीं डाला था। आज तक इस एफआईआर पर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि क्या किसी की सह पर जानबुझकर भाजपा के जिन एजेंट ने चुनाव आयोग के दफ्तर में बैठकर ये सारा काम किया उनको स्पष्ट बचाकर निकालने का रास्ता भी दे दिया है। क्या चुनाव आयोग किसी दबाव में काम कर रहा है? क्या चुनाव आयोग इस बात को लेकर संतुष्ट है कि कैथल के चुनाव अधिकारी का कोई लेना देना नहीं था? क्या चुनाव आयोग बिना निष्कर्ष पर पहुंच गया है?

उन्होंने कहा कि कल कुरुक्षेत्र में पंजाब के सीएम सरदार भगवंत मान का रोड शो रखा गया था। उस रोड शो की सारी अनुमति चुनाव आयोग से ली गई थी। लेकिन उसके बावजूद रोड शो शुरु होने से ठीक पहले डीसी ऑफिस की टीम वहां पर पहुंचती है और ये कहा जाता है सारे पोस्टर और झंडे यहां से उतारने पडेंगे। ये किसकी अनुमति से रोड शो को डिस्टर्ब करने के लिए ऐसा किया गया। चुनाव आयोग से हमारी शिकायत है कि लेवल प्लेइंग फिल्ड उपलब्ध कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग तत्काल प्रभाव से कैथल के चुनाव अधिकारी को सस्पेंड करे या उनका तबादला करे। हम बिल्कुल भी आश्वस्त नहीं हैं कि इस चुनाव अधिकारी के रहते हुए निष्पक्ष चुनाव हो सकते हैं। क्योंकि इतने बड़े घटनाक्रम में ये चुनाव अधिकारी दफ्तर में मौजूद थे। जब इनके चुनाव कार्यालय में इतनी बड़ी घटना हुई और उसके बाद भी ये अपने पद पर कायम हैं। ये लगातार भाजपा विधायक के इशारे पर कार्रवाई को करते और रोकते हैं।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार का व्यक्ति चुनाव के दौरान निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर सकता। इसलिए इनको तुरंत प्रभाव से इस जगह से हटाया जाए और चुनाव आयोग सुनिश्चित करे कि जब हम सभी अनुमति सही समय पर ले रहे हैं तो जो घटना सीएम भगवंत मान के रोड शो से पहले हुई ऐसी घटनाएं भी भविष्य में दोबारा न हो। उन्होंने कहा कि यदि हमारी बात नहीं सुनी जाती है तो हम राज्य चुनाव आयोग के पास जाएंगे और यदि वहां पर भी बात नहीं सुनी गई तो राष्ट्रीय चुनाव आयोग के पास जाएंगे।

उन्होंने कहा मैंने छह महीने पहले कहा था कि जजपा में इतने लोग भी नहीं बचेंगे कि वो चुनाव लड़ने के लिए टिकट भी दे सकें। जजपा ने वोटर के साथ जो धोखा किया आज वो उसका अंजाम भुगत रहे हैं। दुष्यंत चौटाला हरियाणा में जहां भी जा रहे है उनका विरोध हो रहा है। उसकी मां पूरी हरियाणा के किसानों से उनके लिए माफी मांग रही है। यदि समय रहते किसानों का मान सम्मान रखा होता तो आज उनको ये स्थिति नहीं देखनी पड़ती। यही स्थिति भाजपा की भी है लेकिन आज वो सत्ता में है और उनके हाथ में मिशनरी है। अभी भाजपा के नेता सीबीआई और पुलिस के दबाव में पार्टी छोड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं। जब विधानसभा चुनाव आएगा तो जजपा के जैसा हश्र भाजपा का होगा।

उन्होंने कहा कि जब से आम आदमी पार्टी ने इंडिया गठबंधन के तहत अपने उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता के नाम की घोषणा की है तब से लोगों में पूरा उत्साह है। भाजपा ने नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर सुरक्षित तरीके से वहां से निकाला है। जिस उम्मीदवार को अपनी वॉशिंग मशीन में धोकर लाए थे उन्होंने प्रचार किया तो भाजपा के लोगों ने उसका विरोध कर दिया, जिसके बाद से वो फिल्ड छोड़कर विदेश यात्रा पर है। भाजपा प्रशासनिक अधिकारियों का इस्तेमाल करे इस चुनाव का असंतुलित करना चाहती है। क्योंकि चनावी तौर पर भाजपा हार रही है। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र लोकसभा से डॉ. सुशील गुप्ता जीत रहे हैं। लोगों को अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए सही उम्मीदवार मिल गया है। इसलिए लोगों में जबरदस्त उत्साह है।

Previous
Previous

"इंडिया" गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी डॉ. सुशील गुप्ता के थानेसर के गांवों और वार्डों में बैठक

Next
Next

पंफलेट या पोस्टर आदि पर प्रकाशक, प्रकाशन करवाने वाले का नाम होना जरूरी